90 के दशक के बेंगलुरु की इंफोसिस कैंटीन का वायरल क्लिप: ‘नो पॉटबेलीज़, गर्ल्स विदाउट सिगरेट’

Published on: October 21, 2025
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बेंगलुरु की इंफोसिस कैंटीन का वायरल क्लिप: कॉर्पोरेट संस्कृति की झलक

  • विषय: 1990 के दशक में बेंगलुरु स्थित **इंफोसिस (Infosys)** की कैंटीन का एक पुराना वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
  • टिप्पणी: क्लिप पर सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा की गई टिप्पणियों में ‘कोई तोंद नहीं’ (**No Potbellies**) और ‘सिगरेट के बिना लड़कियाँ’ (**Girls Without Cigarettes**) जैसे कमेंट्स प्रमुख हैं।
  • सांस्कृतिक अंतर: यह वीडियो आज की आईटी और कॉर्पोरेट कार्य संस्कृति की तुलना में 90 के दशक की **जीवनशैली, फिटनेस और कार्य नैतिकता** को दर्शाता है।
  • यादें: यह क्लिप उन दिनों की याद दिलाता है जब भारतीय आईटी क्षेत्र तेजी से उभर रहा था और उसका स्वरूप आज से काफी अलग था।

 

सोशल मीडिया पर 1990 के दशक के बेंगलुरु की प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस की कैंटीन का एक दुर्लभ वीडियो क्लिप तेज़ी से वायरल हो रहा है। यह क्लिप न केवल भारतीय आईटी क्षेत्र की शुरुआती दिनों की झलक दिखाता है, बल्कि उस समय की कार्य संस्कृति और कर्मचारियों की जीवनशैली पर भी रोचक टिप्पणी पेश करता है।

वायरल कमेंट्स से तुलना

इस क्लिप में इंफोसिस के कर्मचारी अपनी कैंटीन में भोजन करते हुए और बातचीत करते हुए दिख रहे हैं। वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स की टिप्पणियाँ काफी ध्यान आकर्षित कर रही हैं, जिनमें दो कमेंट्स सबसे अधिक चर्चा में हैं:

  1. कोई तोंद नहीं (No Potbellies): यह टिप्पणी उस समय के कर्मचारियों के अपेक्षाकृत स्वस्थ और फिट शारीरिक बनावट को दर्शाती है, जो संभवतः कम बैठ कर काम करने की संस्कृति या अलग जीवनशैली के कारण था।
  2. सिगरेट के बिना लड़कियाँ (Girls Without Cigarettes): यह टिप्पणी सीधे तौर पर उस समय के सामाजिक मानदंडों और कॉर्पोरेट वर्कप्लेस के अंदर धूम्रपान की अनुपस्थिति की ओर इशारा करती है, जो आज के खुले और अधिक उदार वर्कप्लेस कल्चर के विपरीत है।

आज की संस्कृति से अंतर

यह वायरल वीडियो आज की आईटी संस्कृति के साथ एक बड़ा विरोधाभास प्रस्तुत करता है। 90 के दशक में, आईटी पेशेवर आज की तरह चौबीसों घंटे डेस्क पर नहीं बैठे रहते थे, जिससे उनकी जीवनशैली शायद अधिक सक्रिय थी। साथ ही, सामाजिक और कॉर्पोरेट मानदंड भी अधिक रूढ़िवादी थे।

वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे तीन दशकों में भारतीय कॉर्पोरेट और तकनीकी कार्यस्थल विकसित हुआ है। यह क्लिप दर्शकों को भारतीय आईटी उद्योग के उस स्वर्णिम और संस्थापक युग की याद दिलाता है, जिसने आज के तकनीकी परिदृश्य की नींव रखी।

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