हरियाणा के बेटे का दुखद अंत: भारतीय सेना में जाने का सपना लिए रूस के लिए लड़ते हुए जान गंवाई

Published on: October 22, 2025
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हरियाणा के कैथल ज़िले के जनेदपुर गांव में उस समय गहरा शोक छा गया जब 24 वर्षीय करम चंद का पार्थिव शरीर 43 दिनों के बाद उनके पैतृक गांव पहुँचा। करम चंद की मौत रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर लड़ते हुए 6 सितंबर को एक विस्फोट में हो गई थी। यह घटना एक ऐसे युवा की त्रासदीपूर्ण कहानी बयाँ करती है जिसने हमेशा भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखा था, लेकिन बेहतर जीवन की तलाश में एक एजेंट के धोखे का शिकार होकर विदेशी धरती पर अपनी जान गंवा बैठा।


विदेश में नौकरी की तलाश और धोखे का जाल

करम चंद जनेदपुर गांव के एक पंचायत सदस्य थे। उनके चचेरे भाई विजय कुमार के अनुसार, करम चंद विदेश में बसना चाहते थे और जर्मनी में नौकरी पाने की उम्मीद में जुलाई में भारत से निकले थे।

  • एजेंट द्वारा धोखा: परिवार का आरोप है कि जिस ट्रैवल एजेंट ने करम चंद को जर्मनी भेजने का वादा किया था, उसने उन्हें धोखा दिया और 8 लाख रुपये लेकर रूस भेज दिया। वहाँ उन्हें रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
  • युद्ध मोर्चे पर मौत: करम चंद की मौत 6 सितंबर को युद्ध के मोर्चे पर हुई। परिवार को 13 दिन बाद, 19 सितंबर को टेलीग्राम ऐप के ज़रिए रूसी सेना में सेवारत एक अन्य भारतीय युवक से उनकी मृत्यु की सूचना मिली।
  • न्याय की मांग: परिवार ने अब धोखाधड़ी करने वाले एजेंट के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। यह कैथल ज़िले से दूसरा ऐसा मामला है, जहाँ पिछले साल रवि माटर नामक 24 वर्षीय युवक की भी इसी तरह एजेंट के धोखे से रूसी सेना के लिए लड़ते हुए मौत हो गई थी।
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गांव में शोक और सरकार से अपील

17 अक्टूबर को पार्थिव शरीर भारत लाया गया और शनिवार, 19 अक्टूबर को जनेदपुर गांव पहुँचा, जहाँ पूरे गांव में मातम पसरा रहा।

  • परिवार की मांग: करम चंद के माता-पिता, देशराज और सुनीता, अपने बेटे की अंतिम संस्कार के समय मीडिया से बात करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि करम चंद हमेशा भारतीय सेना में सेवा करना चाहते थे और देश के लिए मरना चाहते थे। उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके बेटे को शहीद का दर्जा दिया जाए, साथ ही परिवार को आर्थिक सहायता और उनकी अविवाहित छोटी बेटी के लिए सरकारी नौकरी दी जाए।
  • बेरोज़गारी का मुद्दा: राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने X पर एक पोस्ट में हरियाणा सरकार द्वारा फैलाई गई ‘बेरोज़गारी की बीमारी’ को इन युवाओं के विदेश जाकर ‘यातनाओं की यात्रा’ करने का मुख्य कारण बताया।
  • अधूरी इच्छा: करम चंद की छोटी बहन की शादी फरवरी में होनी थी, और वह विदेश से पैसे भेजने की उम्मीद कर रहे थे ताकि खर्चों में मदद मिल सके। दुर्भाग्य से, उन्हें न तो वेतन मिला और न ही कोई पैसा घर भेज पाए।

सरकार की जानकारी और चल रहे प्रयास

इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र सरकार ने भी जानकारी दी है।

  • लापता भारतीय: विदेश राज्य मंत्री, कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया था कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 18 भारतीय नागरिक रूसी सशस्त्र बलों में हैं, जिनमें से 16 को रूसी पक्ष ने “लापता” बताया है।
  • सुरक्षा और वापसी के प्रयास: सरकार ने रूसी अधिकारियों से शेष भारतीयों की सुरक्षा, कल्याण और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। सरकार ने संघर्ष में जान गंवाने वाले सात भारतीय नागरिकों के नश्वर अवशेषों को वापस लाने में भी सुविधा प्रदान की है।

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