DNS क्या है? (Domain Name System) – यह कैसे काम करता है और क्यों है ज़रूरी?

Published on: October 19, 2025
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DNS का पूरा नाम डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System) है। इसे इंटरनेट का फ़ोनबुक (Phonebook) या पता पुस्तिका भी कहा जाता है।
सरल शब्दों में, DNS का काम है आपके द्वारा वेब ब्राउज़र (Web Browser) में टाइप किए गए किसी भी वेबसाइट के नाम (जैसे https://www.google.com/search?q=google.com या facebook.com) को उसके वास्तविक, मशीन-पठनीय पते, जिसे IP एड्रेस (IP Address) कहते हैं, में बदलना। मान लीजिए कि आप किसी दोस्त को फ़ोन लगाना चाहते हैं। आपको उसका नाम याद है, लेकिन फ़ोन को उसका नंबर चाहिए। DNS ठीक यही काम करता है—यह इंसान के लिए याद रखने में आसान नाम (Domain Name) को मशीन के लिए ज़रूरी नंबर (IP Address) में बदल देता है।


🤔 DNS क्यों ज़रूरी है?

कंप्यूटर और सर्वर केवल अंकों की एक श्रृंखला (जैसे 172.217.167.46) को ही समझते हैं, जिसे IP एड्रेस कहते हैं। मनुष्यों के लिए ये अंक याद रखना असंभव है। DNS इस समस्या का समाधान करता है:

  • सरलता: यह यूज़र्स को जटिल IP एड्रेस याद रखने के बजाय, सरल डोमेन नाम (जैसे amazon.in) याद रखने की सुविधा देता है।
  • इंटरनेट नेविगेशन: यह सुनिश्चित करता है कि जब आप कोई नाम टाइप करें, तो आप सही सर्वर तक पहुँच सकें।

⚙️ DNS कैसे काम करता है? (The Working of DNS)

जब आप अपने ब्राउज़र में कोई डोमेन नाम टाइप करते हैं, तो DNS उस नाम को IP एड्रेस में बदलने के लिए एक जटिल प्रक्रिया शुरू करता है, जिसे DNS क्वेरी (DNS Query) कहते हैं। यह प्रक्रिया चार मुख्य सर्वर के बीच होती है:

1. रिसॉल्वर (Resolver):

यह पहला पड़ाव है, जो आमतौर पर आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) या किसी सार्वजनिक DNS सेवा (जैसे Google DNS) द्वारा संचालित होता है। इसका काम है क्वेरी को स्वीकार करना और जवाब खोजने की प्रक्रिया शुरू करना।

2. रूट नेम सर्वर (Root Name Server):

रिसॉल्वर सबसे पहले रूट सर्वर से पूछता है। रूट सर्वर पूरी DNS संरचना का आधार है। यह सर्वर .com, .org, .in जैसे टॉप-लेवल डोमेन (TLD) सर्वरों का पता बताता है।

3. TLD नेम सर्वर (Top-Level Domain Name Server):

रूट सर्वर से पता मिलने के बाद, रिसॉल्वर TLD सर्वर से संपर्क करता है (जैसे अगर डोमेन .com है)। TLD सर्वर तब आपको उस विशिष्ट डोमेन नाम के लिए ज़िम्मेदार अथॉरिटेटिव नेम सर्वर का पता बताता है।

4. अथॉरिटेटिव नेम सर्वर (Authoritative Name Server):

यह वह सर्वर है जिसके पास डोमेन का अंतिम और सटीक IP एड्रेस होता है। यह सर्वर रिसॉल्वर को IP एड्रेस भेजता है।

अंतिम चरण:

IP एड्रेस मिलने के बाद, रिसॉल्वर इस जानकारी को आपके ब्राउज़र तक पहुंचाता है। ब्राउज़र इस IP एड्रेस का उपयोग करके सीधे उस सर्वर से जुड़ जाता है, जिससे वेबसाइट आपके स्क्रीन पर लोड हो जाती है।


🗃️ DNS रिकॉर्ड क्या हैं? (What are DNS Records?)

अथॉरिटेटिव नेम सर्वर में कई प्रकार के रिकॉर्ड स्टोर होते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण ये हैं:

रिकॉर्ड का प्रकारविवरणउदाहरण
A Record (Address Record)यह सबसे सामान्य प्रकार है, जो डोमेन नाम को IPv4 IP एड्रेस से जोड़ता है।example.com 192.0.2.1
AAAA Recordडोमेन नाम को IPv6 IP एड्रेस से जोड़ता है।example.com 2001:0db8::8a2e:0370:7334
CNAME Record (Canonical Name)यह एक डोमेन को दूसरे डोमेन से जोड़ता है (उप-डोमेन के लिए उपयोग होता है)।blog.example.com server.example.com
MX Record (Mail Exchange)यह निर्दिष्ट करता है कि डोमेन के ईमेल संदेशों को कहाँ भेजा जाना चाहिए (ईमेल सर्वर का पता)।example.com mail.example.com
TXT Recordयह सादा टेक्स्ट जानकारी रखता है, जिसका उपयोग अक्सर ईमेल स्पैम सुरक्षा (SPF, DKIM) या डोमेन सत्यापन के लिए होता है।v=spf1 include:servers.com

फास्ट DNS और कैशिंग (Caching):

DNS क्वेरी की प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है। इसे गति देने के लिए कैशिंग (Caching) का उपयोग किया जाता है।

  1. रिसॉल्वर (ISP सर्वर) कुछ समय के लिए आपके द्वारा एक्सेस किए गए IP एड्रेस को अपने पास कैश करके रखता है।
  2. जब आप अगली बार वही डोमेन नाम टाइप करते हैं, तो रिसॉल्वर सीधे कैश से IP एड्रेस दे देता है, जिससे पूरी प्रक्रिया दोबारा नहीं करनी पड़ती और वेबसाइट तेज़ी से लोड होती है।

संक्षेप में, DNS इंटरनेट की अदृश्य रीढ़ की हड्डी (Invisible Backbone) है, जो अरबों यूज़र्स को हर दिन बिना किसी रुकावट के वेबसाइटों तक पहुंचने में मदद करती है।

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