दिल्ली हाई कोर्ट ने JNTL Consumer Health (India) Pvt. Ltd. (जिसे पहले Johnson & Johnson के स्पिन-ऑफ के रूप में जाना जाता था) को एक बड़ी राहत दी है। कंपनी ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के एक हालिया आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें खाद्य और पेय कंपनियों को अपने उत्पादों के ट्रेडमार्क या लेबल पर “ORS” (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) शब्द का उपयोग करने से रोक दिया गया था।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने JNTL Consumer Health की याचिका पर सुनवाई करते हुए FSSAI के 14 और 15 अक्टूबर 2025 के आदेशों को कंपनी के संबंध में तत्काल प्रभाव से लागू करने पर रोक लगा दी। इस अंतरिम सुरक्षा का अर्थ है कि जब तक इस मामले में आगे सुनवाई नहीं होती, तब तक कंपनी अपने लोकप्रिय हाइड्रेशन ड्रिंक ORSL के ट्रेडमार्क का उपयोग जारी रख सकती है।
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FSSAI ने क्यों लगाया ‘ORS’ पर प्रतिबंध?
FSSAI ने यह कड़ा कदम उपभोक्ताओं को गुमराह होने से बचाने के लिए उठाया है।
- स्वास्थ्य जोखिम: चिकित्सा विशेषज्ञों और हैदराबाद की एक डॉक्टर द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के अनुसार, बाजार में बिकने वाले कई उच्च-चीनी पेय पदार्थ अपने नाम या लेबल पर “ORS” का उपयोग करते थे, जैसे कि ORSL या Rebalance with ORS।
- भ्रामक लेबलिंग: ये उत्पाद WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा अनुशंसित असली ओआरएस (जिसमें विशिष्ट अनुपात में नमक, ग्लूकोज और अन्य तत्व होते हैं) के बजाय शुगरी ड्रिंक्स होते थे।
- जन-स्वास्थ्य: असली ओआरएस का उपयोग गंभीर निर्जलीकरण (Dehydration) के इलाज के लिए किया जाता है। भ्रामक लेबल वाले मीठे पेय का उपयोग करने से विशेष रूप से बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, क्योंकि इससे निर्जलीकरण और गंभीर हो सकता है।
- FSSAI का निर्देश: FSSAI ने अपने नवीनतम दिशानिर्देश में स्पष्ट किया था कि किसी भी गैर-चिकित्सकीय पेय या खाद्य उत्पाद को अपने नाम, लेबल या ट्रेडमार्क में “ORS” शब्द का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी, चाहे वह उपसर्ग (Prefix) या प्रत्यय (Suffix) के रूप में ही क्यों न हो।
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JNTL Consumer Health की मुख्य दलील
JNTL Consumer Health, जो ORSL ब्रांड का निर्माण और विपणन करती है, ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि FSSAI ने यह प्रतिबंध बिना किसी पूर्व सूचना, परामर्श या सुनवाई के अचानक जारी कर दिया। कंपनी ने दावा किया कि उनके ट्रेडमार्क कानूनी रूप से पंजीकृत हैं और इस तरह के अचानक प्रतिबंध से उनका व्यापार प्रभावित होता है।
JNTL का यह भी तर्क है कि उनके उत्पाद एक अलग श्रेणी के तहत आते हैं और पिछले कई वर्षों से बाजार में हैं।
कानूनी लड़ाई का निहितार्थ
यह मामला ट्रेडमार्क अधिकारों और जन-स्वास्थ्य विनियमन के बीच एक महत्वपूर्ण संतुलन बिंदु को दर्शाता है:
- ट्रेडमार्क बनाम जनहित: हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश कंपनी के ट्रेडमार्क अधिकारों की रक्षा करता है। हालाँकि, अंतिम फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत FSSAI द्वारा जन-स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों को ट्रेडमार्क कानूनों से ऊपर मानती है या नहीं।
- कार्रवाई पर रोक: दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का मतलब है कि FSSAI तत्काल प्रभाव से JNTL के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकती है।
यह कानूनी लड़ाई भारत में खाद्य सुरक्षा और भ्रामक लेबलिंग के मुद्दे पर एक नज़ीर स्थापित करेगी। मामले की अगली सुनवाई तक ORSL जैसे ब्रांडों की बिक्री जारी रहेगी, लेकिन यह विवाद उपभोक्ताओं के बीच असली ओआरएस और व्यावसायिक हाइड्रेशन ड्रिंक्स के बीच के अंतर को लेकर जागरूकता बढ़ाएगा।






















