AI से आगे की क्रांति: ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’ क्या है और क्यों Google, IBM, और भारत इसकी दौड़ में हैं? क्या यह साइबर सुरक्षा को खत्म कर देगा?

Published on: October 28, 2025
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पिछले दशक में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग ने टेक्नोलॉजी की दुनिया पर राज किया है। लेकिन अब, क्षितिज पर एक और भी बड़ी क्रांति दिखाई दे रही है—क्वांटम कंप्यूटिंग (Quantum Computing)। जहाँ AI डेटा का विश्लेषण करके भविष्यवाणियाँ करता है, वहीं क्वांटम कंप्यूटिंग गणना की मौलिक सीमाओं को तोड़कर ऐसी समस्याओं को हल करने की क्षमता रखता है, जिन्हें दुनिया के सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर भी करोड़ों वर्षों में हल नहीं कर सकते। यह दौड़ न केवल टेक्नोलॉजी के भविष्य को, बल्कि वैश्विक साइबर सुरक्षा के पूरे बुनियादी ढांचे को बदल देगी।


⚛️ पारंपरिक बनाम क्वांटम: Qubit का जादू

पारंपरिक कंप्यूटर सूचना को बिट्स (Bits) में संसाधित करते हैं, जो या तो ‘0’ या ‘1’ हो सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटर इससे मौलिक रूप से अलग तरीके से काम करते हैं:

  • Qubit (क्वांटम बिट): क्वांटम कंप्यूटर Qubits का उपयोग करते हैं। क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों के कारण, एक Qubit एक ही समय में ‘0’ और ‘1’ दोनों अवस्थाओं में मौजूद हो सकता है (जिसे सुपरपोजिशन कहते हैं)।
  • समांतर प्रसंस्करण (Parallel Processing): इस सुपरपोजिशन के कारण, एक क्वांटम कंप्यूटर एक साथ लाखों गणनाएँ कर सकता है। जहाँ पारंपरिक कंप्यूटर क्रमिक रूप से (Sequentially) काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर समांतर रूप से (In Parallel) काम करते हैं।
  • क्षमता की वृद्धि: Qubits की संख्या में रैखिक वृद्धि (Linear Increase) भी कंप्यूटिंग क्षमता में घातीय वृद्धि (Exponential Increase) लाती है।

🚀 क्वांटम सुप्रीमेसी: अंतिम लक्ष्य

क्वांटम सुप्रीमेसी (Quantum Supremacy) वह क्षण है जब एक क्वांटम कंप्यूटर किसी ऐसी समस्या को सफलतापूर्वक हल करता है, जिसे कोई भी मौजूदा पारंपरिक सुपरकंप्यूटर व्यावहारिक समय सीमा के भीतर (जैसे 10,000 साल के बजाय कुछ मिनटों में) हल नहीं कर सकता।

  • Google का माइलस्टोन: 2019 में, Google ने घोषणा की कि उसके Sycamore प्रोसेसर ने एक ऐसी गणना केवल 200 सेकंड में पूरी कर ली, जिसे सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर को भी पूरा करने में 10,000 साल लगते। हालाँकि इस दावे पर बहस हुई, इसने दुनिया को क्वांटम शक्ति का पहला ठोस प्रमाण दिया।

⚔️ क्वांटम का खतरा: साइबर सुरक्षा का अंत?

क्वांटम कंप्यूटिंग जहाँ विज्ञान और दवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता का वादा करता है, वहीं यह वर्तमान वैश्विक साइबर सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा अस्तित्वगत खतरा (Existential Threat) भी पैदा करता है।

एन्क्रिप्शन का टूटना (The RSA Threat)

दुनिया भर में बैंक, ई-कॉमर्स साइट, सरकारी डेटा और व्यक्तिगत संचार जिस सुरक्षा पर निर्भर करते हैं, वह मुख्य रूप से RSA (Rivest–Shamir–Adleman) और ECC (Elliptic Curve Cryptography) जैसे एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम पर आधारित है।

  • शॉर्स एल्गोरिथम (Shor’s Algorithm): गणितज्ञ पीटर शोर द्वारा विकसित यह क्वांटम एल्गोरिथम, RSA एन्क्रिप्शन की नींव (बड़े प्राइम नंबरों का गुणनफल) को मिनटों या घंटों में तोड़ सकता है।
  • डाटा का अनावरण: यदि किसी विरोधी राष्ट्र या अपराधी के पास एक सक्षम क्वांटम कंप्यूटर आ जाता है, तो वे इंटरनेट से संग्रहीत सभी एन्क्रिप्टेड डेटा को डिक्रिप्ट कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन होगा।

🌐 विश्वव्यापी दौड़ और भारत की भागीदारी

इस महत्वपूर्ण तकनीक में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने के लिए अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ सहित कई शक्तियां भारी निवेश कर रही हैं।

  • Google और IBM: ये दो अमेरिकी टेक दिग्गज Qubit की संख्या और उनकी गुणवत्ता (Fidelity) बढ़ाने की दौड़ में सबसे आगे हैं। वे लगातार उच्च Qubit काउंट वाले प्रोसेसर लॉन्च कर रहे हैं और क्लाउड के माध्यम से क्वांटम एक्सेस दे रहे हैं।
  • चीन: चीन ने भी क्वांटम अनुसंधान और विकास में भारी निवेश किया है, जिसे वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है।
  • भारत का ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन’ (NQM): भारत सरकार ने इस दौड़ में शामिल होने के लिए ₹6,000 करोड़ से अधिक के आवंटन के साथ NQM शुरू किया है। इसका उद्देश्य देश में 8 वर्षों के भीतर 50-100 Qubit क्षमता वाले क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना, क्वांटम सामग्री पर शोध करना और विशेषज्ञ मानव संसाधन तैयार करना है।

🛡️ अगला कदम: पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC)

चूँकि क्वांटम खतरा आसन्न है, इसलिए दुनिया भर के क्रिप्टोग्राफर पहले से ही ऐसे नए एन्क्रिप्शन मानकों पर काम कर रहे हैं जो क्वांटम कंप्यूटर द्वारा भी तोड़े नहीं जा सकते। इसे पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) कहा जाता है।

  • NIST का मानकीकरण: अमेरिकी राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (NIST) PQC एल्गोरिदम को मानकीकृत करने के लिए काम कर रहा है।
  • माइग्रेशन की अनिवार्यता: सरकार, बैंक और टेक्नोलॉजी कंपनियों को अपने मौजूदा एन्क्रिप्शन सिस्टम को PQC-अनुकूल सिस्टम में बदलना होगा—एक ऐसा परिवर्तन जिसे पूरा होने में एक दशक या उससे अधिक समय लग सकता है।

निष्कर्ष

क्वांटम कंप्यूटिंग AI से आगे की क्रांति का प्रतिनिधित्व करता है, जो दवा, सामग्री विज्ञान, और वित्त में अप्रत्याशित सफलता ला सकता है। हालाँकि, क्वांटम सुप्रीमेसी का आना हमारी वर्तमान साइबर सुरक्षा की नींव को हिला देगा। इसलिए, Google और IBM जैसी वैश्विक कंपनियों की दौड़ के बीच, भारत का NQM में निवेश करना न केवल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता के लिए, बल्कि भविष्य के साइबर खतरों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दौर दिखाता है कि हमें न केवल अगली पीढ़ी की गणना (Next-Gen Computation) के लिए तैयार रहना होगा, बल्कि खुद को बचाने के लिए भी अगली पीढ़ी के एन्क्रिप्शन को अपनाना होगा।

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