क्वांटम कंप्यूटिंग एक अभूतपूर्व टेक्नोलॉजी है जो सूचना को परमाणु और उप-परमाणु स्तर के सिद्धांतों का उपयोग करके संसाधित (Process) करती है। जहाँ हमारे वर्तमान कंप्यूटर (क्लासिकल कंप्यूटर) केवल 0 या 1 (बिट्स) का उपयोग करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके जटिल समस्याओं को हल करते हैं जिन्हें आज के सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर को भी हल करने में हजारों साल लग सकते हैं। भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के माध्यम से इस तकनीक को देश के आर्थिक और रणनीतिक भविष्य के लिए केंद्रीय स्थान पर रखा है।
क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है? (सरल शब्दों में)
क्वांटम कंप्यूटिंग की शक्ति दो मुख्य क्वांटम घटनाओं पर निर्भर करती है:
1. क्यूबिट (Qubit):
- पारंपरिक कंप्यूटर में बिट या तो 0 होता है या 1।
- क्वांटम कंप्यूटर में क्यूबिट (Quantum Bit), 0 और 1 दोनों अवस्थाओं में एक साथ रह सकता है। इस स्थिति को सुपरपोजीशन (Superposition) कहा जाता है। कल्पना करें, जैसे एक सिक्का हवा में घूम रहा हो—वह एक साथ हेड और टेल दोनों है। यह क्षमता क्वांटम कंप्यूटर को समाधानों की एक विशाल श्रृंखला की जाँच एक ही बार में करने की अनुमति देती है।
2. उलझाव (Entanglement):
- उलझाव वह घटना है जहाँ दो या दो से अधिक क्यूबिट्स इस तरह से जुड़े होते हैं कि एक की स्थिति जानने पर दूसरे की स्थिति तुरंत पता चल जाती है, भले ही वे कितनी भी दूर क्यों न हों। यह क्यूबिट्स को एक साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है, जिससे कंप्यूटिंग शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है।
भारत में क्वांटम क्रांति: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन
भारत सरकार ने क्वांटम टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा देने के लिए 2023 में ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन’ की शुरुआत की है। इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
QPI-INDUS का महत्व:
- इसी मिशन के तहत, QPI-INDUS नामक भारत का पहला 25-क्यूबिट वाला सुपरकंडक्टिंग क्वांटम कंप्यूटर विकसित किया गया है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक क्वांटम रेस में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है और स्वदेशी क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास में मील का पत्थर साबित होती है।
प्रमुख क्षेत्र जो बदल रहे हैं
क्वांटम कंप्यूटिंग उन जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता रखती है जो आज की तकनीक की पहुँच से बाहर हैं, जिससे ये तीन क्षेत्र मौलिक रूप से बदल जाएंगे:
1. चिकित्सा और दवा विकास (Medicine and Drug Development):
- आणविक सिमुलेशन: क्वांटम कंप्यूटर जटिल अणुओं और रसायनों की सटीक नकल (सिमुलेशन) कर सकते हैं। इससे वैज्ञानिक नए यौगिकों और दवाओं की खोज और डिज़ाइन में तेज़ी ला सकते हैं, जिससे दवा विकास की लागत और समय कम हो जाएगा।
- व्यक्तिगत चिकित्सा: AI और क्वांटम का संयोजन प्रत्येक रोगी के आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण करके उनके लिए व्यक्तिगत और सबसे प्रभावी उपचार योजनाएँ बनाने में मदद करेगा।
2. वित्त और अर्थशास्त्र (Finance and Economics):
- जोखिम मॉडलिंग: क्वांटम कंप्यूटिंग जोखिमों के जटिल मॉडल को अत्यधिक तेज़ी से चला सकती है। इससे बैंक और वित्तीय संस्थान पोर्टफोलियो अनुकूलन (Portfolio Optimization), धोखाधड़ी का पता लगाने और बाज़ार के उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी बेहतर ढंग से कर पाएंगे।
3. साइबर सुरक्षा (Cyber Security):
- PQC (पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी): क्वांटम कंप्यूटर इतने शक्तिशाली होंगे कि वे आज के सभी एन्क्रिप्शन (Cryptography) को मिनटों में तोड़ सकते हैं, जिससे हमारी सभी डिजिटल जानकारी (बैंक खाते, सरकारी रहस्य) असुरक्षित हो जाएगी।
- क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास के साथ-साथ, पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी में भी अनुसंधान ज़रूरी हो गया है ताकि डेटा को भविष्य में आने वाले क्वांटम हमलों से सुरक्षित किया जा सके। भारत इस दिशा में भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
निष्कर्ष
क्वांटम कंप्यूटिंग सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं है, बल्कि यह ज्ञान और नवाचार की एक नई सीमा है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और QPI-INDUS जैसी पहलों के साथ, भारत इस परिवर्तन में केवल दर्शक नहीं, बल्कि एक सक्रिय भागीदार बन रहा है। इस तकनीक में निवेश करके, भारत न केवल अपनी रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा से लेकर सुरक्षा तक, हर क्षेत्र में अभूतपूर्व समाधानों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।























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