लिनक्स (Linux) एक यूनिक्स-जैसा (Unix-like), ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जो आज के कंप्यूटिंग इकोसिस्टम की नींव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। डेस्कटॉप कंप्यूटरों से लेकर दुनिया के सबसे बड़े सुपरकंप्यूटरों और एंड्रॉइड (Android) स्मार्टफोन तक, लिनक्स अपनी स्थिरता, सुरक्षा और लचीलेपन (flexibility) के कारण हर जगह मौजूद है।
1. लिनक्स का परिचय और इतिहास
उत्पत्ति (Origins)
- यूनिक्स पर आधारित: लिनक्स की प्रेरणा यूनिक्स (UNIX) ऑपरेटिंग सिस्टम से मिली, जिसे 1970 के दशक में विकसित किया गया था।
- लिनुस टॉर्वाल्ड्स (Linus Torvalds): लिनक्स की शुरुआत 1991 में फिनलैंड के एक छात्र लिनुस टॉर्वाल्ड्स द्वारा एक व्यक्तिगत शौक परियोजना के रूप में हुई थी। उन्होंने मिनिक्स (Minix) से प्रेरणा लेते हुए एक नया और बेहतर कर्नेल (Kernel) बनाना शुरू किया।
- GNU परियोजना: लिनक्स कर्नेल को GNU परियोजना के कई मुफ्त और ओपन-सोर्स (FOSS) उपकरणों के साथ जोड़ा गया था, जिससे एक पूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम का जन्म हुआ।
ओपन-सोर्स दर्शन
लिनक्स की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका ओपन-सोर्स होना है। इसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति लिनक्स का स्रोत कोड (Source Code) देख सकता है, उसमें सुधार कर सकता है, और उसे साझा कर सकता है। इसका विकास दुनिया भर के हजारों प्रोग्रामर, डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं के समुदाय द्वारा (Community-Driven) किया जाता है।
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2. लिनक्स की वास्तुकला और घटक
लिनक्स को आमतौर पर तीन मुख्य परतों (layers) में समझा जा सकता है:
A. कर्नेल (The Kernel)
- परिभाषा: कर्नेल OS का कोर (Core) है। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच मध्यस्थ (mediator) के रूप में कार्य करता है।
- कार्य: कर्नेल मेमोरी प्रबंधन, प्रक्रियाओं का प्रबंधन, डिवाइस ड्राइवरों और सुरक्षा जैसे सभी महत्वपूर्ण कार्य संभालता है।
B. शेल (The Shell)
- परिभाषा: शेल वह इंटरफ़ेस है जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता कर्नेल के साथ इंटरैक्ट करता है।
- प्रकार: इसमें कमांड लाइन इंटरफ़ेस (CLI), जिसे टर्मिनल (उदाहरण: Bash) कहा जाता है, और ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI), जिसे डेस्कटॉप वातावरण (जैसे GNOME, KDE) कहा जाता है, दोनों शामिल हैं।
C. लिनक्स वितरण (Linux Distributions – Distros)
लिनक्स कर्नेल को एक पूर्ण OS बनाने के लिए अतिरिक्त सॉफ्टवेयर, टूल्स और कॉन्फ़िगरेशन की आवश्यकता होती है। यह पैकेज्ड OS को डिस्ट्रीब्यूशन (Distribution) या डिस्ट्रो (Distro) कहा जाता है।
- डेस्कटॉप के लिए प्रमुख डिस्ट्रो: Ubuntu, Fedora, Linux Mint, Manjaro.
- सर्वर और एंटरप्राइज के लिए प्रमुख डिस्ट्रो: Red Hat Enterprise Linux (RHEL), CentOS, Debian, SUSE Linux Enterprise Server (SLES).
3. लिनक्स की प्रमुख विशेषताएँ
- सुरक्षा (Security): लिनक्स को विंडोज की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह यूनिक्स के अनुमति मॉडल (Permission Model) का उपयोग करता है और अधिकांश उपयोगकर्ता डिफ़ॉल्ट रूप से गैर-प्रशासनिक खाते के तहत काम करते हैं।
- स्थिरता और विश्वसनीयता (Stability and Reliability): लिनक्स सर्वर बिना रीबूट (reboot) किए वर्षों तक चल सकते हैं। यह विश्वसनीयता इसे वेब सर्वर, क्लाउड कंप्यूटिंग और नेटवर्किंग के लिए आदर्श बनाती है।
- लचीलापन और अनुकूलन (Flexibility and Customization): लिनक्स लगभग किसी भी हार्डवेयर प्लेटफॉर्म पर चल सकता है (स्मार्टवॉच से लेकर सुपरकंप्यूटर तक)। उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकताओं के अनुसार हर एक घटक को बदल सकते हैं।
- सॉफ्टवेयर रिपॉजिटरी (Software Repository): अधिकांश डिस्ट्रो में एक केंद्रीकृत पैकेज प्रबंधन प्रणाली होती है जो हजारों मुफ्त सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों को स्थापित करना और अपडेट करना आसान बनाती है।
4. लिनक्स के अनुप्रयोग (Applications of Linux)
आज लिनक्स का उपयोग लगभग हर कंप्यूटिंग क्षेत्र में होता है:






















