भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यु्युफैक्चरिंग बूम: PLI स्कीम ने कैसे बनाया ‘मेड-इन-इंडिया iPhone’ को दुनिया की नई सप्लाई चेन की धुरी?

Published on: October 28, 2025
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पिछले कुछ वर्षों में, भारत की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा संरचनात्मक बदलाव देखने को मिला है। जो देश एक समय अपनी अधिकांश टेक्नोलॉजी वस्तुओं का आयात करता था, वह अब दुनिया के लिए स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स का एक महत्वपूर्ण निर्यातक (Exporter) बन रहा है। इस क्रांति की कहानी का केंद्र है भारत सरकार की दूरदर्शी प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और ‘मेड-इन-इंडिया’ iPhone का बढ़ता उत्पादन। यह बदलाव केवल व्यापार का नहीं, बल्कि भू-राजनीति और वैश्विक सप्लाई चेन को चीन से अन्य देशों में स्थानांतरित करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है।


PLI स्कीम क्या है? (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना)

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 2020 में PLI स्कीम शुरू की गई थी।

योजना की कार्यप्रणाली:

  • उद्देश्य: घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन यूनिट स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • प्रोत्साहन (Incentive): यह एक प्रदर्शन-आधारित (Performance-Based) योजना है। इसमें कंपनियों को उत्पादन में वृद्धि के आधार पर अगले कुछ वर्षों के लिए उनके शुद्ध वृद्धिशील बिक्री (Net Incremental Sales) पर 4% से 6% तक का प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
  • फोकस: स्मार्टफोन और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो भारत में उच्च-मूल्य का उत्पादन लाएगा।

‘मेड-इन-इंडिया iPhone’ का कमाल

PLI स्कीम की सफलता का सबसे बड़ा और सबसे शानदार उदाहरण Apple Inc. और उसके कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर (जैसे Foxconn, Wistron, और Pegatron) हैं।

1. उत्पादन का स्थानांतरण:

  • भारत को वैश्विक सप्लाई चेन का नया केंद्र बनाने के लिए PLI ने Apple को चीन से अपनी विनिर्माण (Manufacturing) क्षमता का एक बड़ा हिस्सा स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया।
  • 2022-23 तक, भारत में iPhone का उत्पादन कुल वैश्विक iPhone उत्पादन के 7% से अधिक तक पहुँच गया, और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।

2. निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि:

  • ‘मेड-इन-इंडिया’ iPhones ने भारतीय निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि की है। PLI योजना के लागू होने के बाद, देश का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात कई गुना बढ़ गया।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भारत की छलांग: PLI स्कीम के कारण, इलेक्ट्रॉनिक्स तेजी से देश के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों में से एक बन गया है, जिसने रत्नों और आभूषणों तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बाद अब तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बनने की ओर कदम बढ़ा दिया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विविधीकरण (Diversification) में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

💰 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और करियर पर गहरा प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिक्स बूम के दूरगामी आर्थिक और सामाजिक परिणाम हैं:

  • रोजगार सृजन: PLI योजना ने देश भर में लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए हैं। तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहे हैं, जहाँ बड़े पैमाने पर लोगों को असेंबली, इंजीनियरिंग और सप्लाई चेन प्रबंधन में काम मिल रहा है।
  • मूल्य संवर्धन (Value Addition): यह केवल असेंबलिंग (जोड़ना) तक सीमित नहीं है। भारत अब घटकों (Components) के स्थानीय निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे भारत में उत्पादित अंतिम उत्पाद में स्वदेशी मूल्य संवर्धन बढ़ रहा है।
  • आयात प्रतिस्थापन (Import Substitution): घरेलू उत्पादन में वृद्धि होने से तैयार इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात में कमी आई है, जिससे भारत का व्यापार घाटा कम हुआ है और देश की विदेशी मुद्रा बच रही है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

यह सफलता कई चुनौतियों के बिना नहीं है:

  • सप्लाई चेन की गहराई: भारत को अभी भी कई उच्च-मूल्य वाले घटकों (जैसे चिप्स और उन्नत डिस्प्ले) के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। मैन्युफैक्चरिंग को और गहरा करने के लिए सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को विकसित करना अनिवार्य है।
  • कौशल विकास: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित कार्यबल (Skilled Workforce) तैयार करना महत्वपूर्ण है।

PLI स्कीम ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत केवल उपभोग का बाज़ार नहीं है, बल्कि वह दुनिया की अगली उत्पादन महाशक्ति बनने की क्षमता रखता है। ‘मेड-इन-इंडिया iPhone’ की सफलता एक शक्तिशाली प्रतीक है कि कैसे सही सरकारी नीतियां, वैश्विक सप्लाई चेन की बदलती गतिशीलता का लाभ उठाकर, भारत की आर्थिक नियति को बदल सकती हैं। यह एक मज़बूत, आत्मनिर्भर और टेक्नोलॉजी-केंद्रित भारत की ओर एक बड़ा कदम है।

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