डीपफेक (Deepfake) एक ऐसी उन्नत टेक्नोलॉजी है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीप लर्निंग का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़ या हरकतों को इतनी वास्तविकता से बदल देती है कि उन्हें पहचानना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यह AI-जनरेटेड वीडियो या ऑडियो सामग्री हूबहू वास्तविक लगती है। इस तकनीक का दुरुपयोग अब साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है, जिसका सीधा असर आम लोगों की पहचान और उनके पैसों पर पड़ रहा है।
डीपफेक के माध्यम से होने वाली नई धोखाधड़ी
डीपफेक अब केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहा है; इसका इस्तेमाल संगठित अपराध और धोखाधड़ी के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
1. वित्तीय धोखाधड़ी (Financial Fraud):
- वॉइस क्लोनिंग: अपराधी किसी अधिकारी या परिवार के सदस्य की आवाज़ की क्लोनिंग करके बैंक अधिकारियों, कर्मचारियों या रिश्तेदारों को कॉल करते हैं। वे आपातकाल का हवाला देकर तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की मांग करते हैं।
- कॉर्पोरेट जासूसी: डीपफेक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करके कंपनी के उच्च अधिकारियों की पहचान चुराई जाती है, जिससे संवेदनशील जानकारी या बड़ी धनराशि ट्रांसफर कराई जा सकती है।
2. पहचान की चोरी और जबरन वसूली (Identity Theft and Extortion):
- बायोमेट्रिक धोखाधड़ी: चेहरे की पहचान (Facial Recognition) वाले सिस्टम को धोखा देने के लिए डीपफेक का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसी की पहचान चोरी हो जाती है।
- प्रतिष्ठा को नुकसान: डीपफेक वीडियो बनाकर किसी व्यक्ति को आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया जाता है, और फिर उन्हें ब्लैकमेल करके पैसा वसूला जाता है।
3. राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता:
- फर्जी खबरें: राजनेताओं या सार्वजनिक हस्तियों के डीपफेक वीडियो बनाकर उन्हें गलत बयान देते हुए दिखाया जाता है, जिससे जनता के बीच भ्रम और अविश्वास पैदा होता है और चुनाव या सामाजिक व्यवस्था प्रभावित होती है।
डीपफेक से अपनी सुरक्षा के लिए 5 अचूक उपाय
AI-जनरेटेड धोखाधड़ी से बचने के लिए, हमें अपनी डिजिटल जागरूकता को बढ़ाना होगा। अपनी पहचान और पैसे को सुरक्षित रखने के लिए ये कदम उठाएं:
1. मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) अनिवार्य करें:
- अपने सभी महत्वपूर्ण खातों (ईमेल, बैंक, सोशल मीडिया) के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का उपयोग करें। यह सुनिश्चित करता है कि भले ही अपराधी आपके पासवर्ड और डीपफेक आवाज़ से अकाउंट एक्सेस करने की कोशिश करे, वह दूसरे वेरिफिकेशन स्टेप (जैसे आपके फ़ोन पर OTP) को पार नहीं कर पाएगा।
2. संदेह करना सीखें (Cultivate Skepticism):
- यदि कोई वीडियो या ऑडियो बहुत सनसनीखेज है, या कोई असामान्य अनुरोध (खासकर पैसे ट्रांसफर करने का) आ रहा है, तो हमेशा संदेह करें।
- किसी भी वित्तीय लेनदेन से पहले, व्यक्ति से दूसरे माध्यम (जैसे दूसरे फ़ोन नंबर या टेक्स्ट मैसेज) पर संपर्क करके जानकारी की पुष्टि करें।
3. वीडियो और ऑडियो में विसंगतियां खोजें:
- डीपफेक वीडियो अक्सर पूरी तरह से परफेक्ट नहीं होते। इन खामियों पर ध्यान दें:
- आँखों का झपकना (Blinking): डीपफेक में आँखें असामान्य तरीके से झपक सकती हैं या बिल्कुल नहीं झपकती हैं।
- प्रकाश और छाया: चेहरे पर छाया और प्रकाश का तालमेल बिगड़ा हुआ हो सकता है।
- आवाज़ की विसंगति: आवाज़ रोबोटिक या अस्वाभाविक लग सकती है, या लिप-सिंक (होंठों का हिलना) ऑडियो से मेल नहीं खाता।
4. अपनी ऑनलाइन उपस्थिति सीमित करें:
- डीपफेक बनाने वालों को आपके चेहरे और आवाज़ के डेटा की आवश्यकता होती है। सार्वजनिक डोमेन (Public Domain) में अपनी तस्वीरों, आवाज़ के सैंपल और वीडियो को सीमित करें। सोशल मीडिया पर प्राइवेसी सेटिंग्स को हमेशा मज़बूत रखें।
5. पासवर्ड और बायोमेट्रिक सुरक्षा:
- मज़बूत, अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करें। यदि आप बायोमेट्रिक्स (जैसे चेहरा या फिंगरप्रिंट) का उपयोग करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका डिवाइस सबसे उन्नत सुरक्षा फीचर्स का उपयोग करता है।
निष्कर्ष: सुरक्षित डिजिटल भविष्य की ओर
डीपफेक एक तेजी से विकसित हो रही तकनीक है, और इसे पूरी तरह से रोकना मुश्किल है। लेकिन जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। टेक्नोलॉजी का ज्ञान, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग, और हर संदिग्ध अनुरोध पर पुष्टि करने की आदत विकसित करके, हम AI-जनरेटेड धोखाधड़ी के खतरों को कम कर सकते हैं और अपनी पहचान तथा वित्तीय सुरक्षा को बनाए रख सकते हैं।























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